रेप से बड़ा शायद ही कोई अपमान हो. यह हर उस समाज के मुहँ पर करारा तमाचा है जो सभ्य होने का दावा करता है. पर क्या रेप केवल एक अनजान आदमी के हाथों ही होता है? क्या रेप केवल शारीर का ही हो सकता है? प्रस्तुत कहानियां महिलाओं से जुड़े कुछ इसे ही सवाल उठाती है और पाठकों को उनके उत्तर तलाशने को मजबूर कर देती है.
उड़िया साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित सरोजिनी साहू एक लोकप्रिय स्त्रीवादी लेखिका है. यौन-संबंधों को लेकर महिलाओं की वेदना -संवेदना तक उन्होंने हर विषय को बड़ी बेबाकी से कागज पर उतरा है.लेखिका के लिए स्त्रीवाद का अर्थ पुरुशोंपर निर्थक और अतार्किक आक्रमण करना नहीं, बल्कि महिलाओं की दुनिया को पुरुषों से अलग पहचान देता है.
प्रस्तुत कथा संग्रह में बारह कहानियाँ है जो महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाती हैं.हर कहानी स्त्री-जीवन का एक अलग पक्ष प्रस्तुत करती है. जैसे-जैसे कहानियाँ आगे बढती हैं, वैसे-वैसे अनेक पत्रों से जुडाव महसूस होने लगता है. कहीं दांपत्य-जीवन दबे-छुपे पक्ष सामने आते हैं तो कहीं महिलाओं के मन की कशमकश उजागर होती है.
कहानी संग्रह: रेप तथा अन्य कहानियाँ
कहानीकार: सरोजिनी साहू
अनुवादक: दिनेश कुमार माली
प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, कश्मीरी गेट, दिल्ली -11006
प्रथम संस्करण: 2011
ISBN: 978-81-7028-921-0
पृष्ठ संख्या: 175, पेपर बैक
मूल्य: एक सौ पचहत्तर रुपये
No comments:
Post a Comment